श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व: देशभर में धूमधाम से मनाई जा रही है भगवान कृष्ण की जयंती

 नई दिल्ली, 16 अगस्त 2025: आज समस्त सनातन धर्मावलंबियों के लिए अत्यंत हर्ष और उल्लास का दिन है। भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी के रूप में श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है। मूर्तियों को फूल और रंग से दोहराया गया है, भक्ति संगीत और कीर्तन की गूंज को हर तरफ देखा जा रहा है, और हुंकियों और रासलीलाओं के माध्यम से भगवान कृष्ण के बालिलियों को याद किया जा रहा है।

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मध्यरात्रि में होगा जन्मोत्सव

पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा के कारगार में अर्धरात्रि (12:00 बजे) को हुआ था। इसी तरह बड़बोले में आज रात 12 बजे विशेष पूजा-आरती, आरती और मंगलाचरण का आयोजन होगा। पुजारियों में हुनकेन को सजा दी जाती है, जहां भगवान कृष्ण को सोने या चांदी के रूप में रखा जाता है।


अस्तित्व में उत्साह का राक्षस


वृंदावन: भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा और लीलास्थली वृंदावन में जन्माष्टमी का विशेष आयोजन हो रहा है। यहां "झूलनोत्सव" और "रासलीला" का आयोजन हो रहा है, जिसमें हजारों हजारों भाग ले रहे हैं।


द्वारका: गुजरात के द्वारकामंदिर में भव्य शोभा और भंडारे का आयोजन किया गया है।


महाराष्ट्र: यहां "दही हांडी" कार्यक्रम आकर्षण का केंद्र है, जिसमें युवाओं की लोकप्रियता पर लटकी मटकी मिठाई कृष्ण की बाललीला को दोगुना किया जाता है।


दक्षिण भारत: तमिल और केरल में भी भजन-कीर्तन और विशेष पूजा का आयोजन हो रहा है।



धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम

व्यासपीठों से धार्मिक कथाएँ सुनी जा रही हैं, जहाँ पंडितों द्वारा "भागवत कथा" और "कृष्ण लीला" का वर्णन किया जा रहा है। नर्तकियों द्वारा "कथक" और "रास नृत्य" प्रस्तुत किए जा रहे हैं, जबकि भक्त "हरे कृष्ण, हरे राम" के मंत्रों से मंत्रमुग्ध हो रहे हैं।


सनातन धर्म की रक्षा का प्रतीक

भगवान कृष्ण को सनातन धर्म का संरक्षक माना जाता है। उन्होंने गीता के माध्यम से मानवता को कर्मयोग और धर्म की शिक्षा दी। आज भी उनकी शिक्षाएं मानव जीवन को दिशा प्रदान करती हैं।


सुरक्षा व्यवस्था

शहरों में होने वाले बड़े आयोजनों के लिए पुलिस और प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है ताकि श्रद्धालु किसी भी तरह से वंचित न रह सकें।


निष्कर्ष:

जन्माष्टमी का यह पर्व केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है। भगवान कृष्ण का संदेश "कर्म करो, फल की चिंता मत करो" आज भी नष्ट हो गया है। इस अवसर पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ!


॥ हरे कृष्ण, हरे राम॥

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